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सोमवार, 6 मई 2019

अक्षय तृतीया

अक्षय तृतीया 



बैशाख माह को वसंत ऋतु के समापन और ग्रीष्म ऋतु के आगमन का संधि काल माना जाता है. इसी माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि जब सूर्य और चन्द्रमा अपने  सबसे  उत्तम रूप में उदय होते हैं और अपनी दिव्य ऊर्जाओं से परिपूर्ण रहतें हैं, को अक्षय तृतीया का नाम  दिया गया है.
अक्षय तृतीया को अपार शुभता के कारण सर्व सिद्धि मुहूर्त , अनंत-अक्षय ,अक्षुण्ण फलदायक कहा जाता है. अक्षय का अर्थ है असीम या जो कभी कम न हो . बैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि  को  जो भी शुभ कार्य किये जाते हैं , उनका अक्षय फल मिलता है ऐसा सुनाने – पढने को मिलता है. क्यों का जवाब कभी मिल नहीं पाया.
 हमारी संस्कृति में यह दिन बहुत ही शुभ माना जाता है, बहुत सी पौराणिक कथाएं इस दिन से जुड़ीं हैं जैसे त्रेतायुग का आरम्भ व नारायण का अवतार लेना , सूर्य  और चंद्रमा का  अपनी उच्च राशि में रह कर  अपनी दिव्य ऊर्जाएं ब्रह्माण्ड में वितरित करना , भागीरथी के प्रयास से गंगा का पृथ्वी पर अवतरण होना, कृष्ण का  पांडवो को वनवास के समय एक अक्षय पात्र देना , सुदामा का श्री कृष्ण से मिलने जाना  और उन्हें अपार धन सम्पति का लाभ होना ,देवी महालक्ष्मी का प्रकट होना , इत्यादि .
अक्षय का अर्थ है असीम या जो कभी कम न हो. जरा दिमाग पर ज़ोर लगा कर  ऐसी वस्तुओं की एक सूची बनाने का प्रयास करें जो कभी कम नहीं होगा. क्या आपकी सूची में ज़मीन,मकान,खेत ,धन-दौलत , आभूषण ही हैं या पर्यावरण से सम्बंधित ऊर्जा के स्रोत जैसे जल,वायु, पृथ्वी ,ऑक्सीजन , सूर्य, चंद्रमा भी शामिल हैं. यदि  आज के परिपेक्ष्य में अक्षय तृतीया को हम वैज्ञानिक दृष्टिकोण  से देखने की कोशिश करें तो  कुछ इस तरह की बात समझमें आती है .

ब्रह्माण्ड में मौजूद हर वस्तु ऊर्जा से बनी है. एक वैज्ञानिक सूत्र  है जिसमें  कहा गया है कि ऊर्जा बनाई या नष्ट नहीं की जा सकती है, यह बस रूप बदलती है। ऊर्जा के अलावा कोई भी वस्तु अक्षय नहीं है .  असीम व अक्षय ऊर्जा का पुंज जिससे ब्रह्माण्ड की हर वस्तुका निर्माण हुआ है उसे इश्वर या अवतार का नाम दिया गया है. श्री नारायण व  श्री परशुराम का अवतार लेना भी इसी असीम ऊर्जा का प्रतीक है.   

  
अक्षय तृतीया के दिन माँ लक्ष्मी के साथ साथ माँ सरस्वती व श्री गणेश की  आराधना की जाती है . हमारी मान्यताओं के अनुसार श्री गणेशजी को बुद्धि से, माँ सरस्वती को विद्या से और माँ लक्ष्मी को धन से जोड़ा जाता है. बुद्धि , विद्या व धन ऐसी उर्जा है जो अक्षय होती है जितना भी इस्तेमाल करो हमेशा बढ़ेगी ही,अक्षय ही रहेगी. ये ऐसी ऊर्जाएं हैं जो कभी नष्ट नहीं होती बस रूप  बदलती हैं जैसे बुद्धि से विद्या , विद्या से धन ,धन से विद्या, विद्या से बुद्धि.

कहा जाता है की भागीरथी के प्रयास से आज ही के दिन गंगा का अवतरण पृथ्वी पर हुआ था. अक्षय तृतीया के दिन गंगा नदी में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. गंगा जल के  दिव्य जल में दिव्य ऊर्जा पाया जाता है जो प्रदूषित होने के बावजूद भी कभी दोषपूर्ण या दूषित नहीं होता क्योंकि गंगा में बक्टेरियोफागेस ,एक प्रकार का वायरस पाया जाता है जो बैक्टीरिया को नष्ट कर देता है.गंगा जल में  उच्च मात्रा में ऑक्सीजन पाया जाता है जो की ऊर्जा का स्रोत है.  यहाँ अक्षय वट के विषय में भी जान लें की बरगद का पेड़ हमें शुद्ध हवा प्रदान करता है .यह हमे भरपूर  मात्र में ऑक्सीजन देता है . बरगद का पेड़ 20 घंटों से भी ज्यादा समय तक ऑक्सीजन छोड़ता है  और अशुद्ध हवा को खींचता है.इसलिए बरगद का पेड़ विशाल होने के साथ –साथ गुणों से भरपूर वृक्ष है.

  सुदामा का अर्थ है सुन्दर शरीर और कृष्ण का सम्बन्ध सकारत्मक ऊर्जा है  . हमारे अन्दर की ऊर्जा तभी तक बनी रह सकती है जब तक हम अपने शरीर को सकारात्मक कर्मों व विचारों से स्वस्थ रख सकें तथा अपने मानसिक एवं आतंरिक क्षमता का विकास कर सकें .सुदामा का कृष्ण से मिलना और अपार धन सम्पति का लाभ होना इसी का संकेत है.

कहा जाता है यह विशेष दिन किसी भी कार्य को शुरू करने के लिए शुभ एवं फलदायक माना जाता है.तो क्यों न हम आज से अपने अन्दर असीमित ऊर्जा को सकरात्मक रूप से उपयोग में लाने का विचार करें जिससे हमारी मानसिक एवं आतंरिक क्षमता का विकास हो सके और हमारे जीवन के सुख अक्षय हो जाएँ . आज ही से अपने पर्यावरण की ऊर्जा का संरक्षण करने की कोशिश करें . 
श्री कृष्णा ने केवल  पांडवों को ही अक्षय पात्र नहीं दिया था बल्कि  हम सबको दिया है बस हम उसका उपयोग करना नहीं जानते. हमारे अन्दर की ऊर्जा ही वह अक्षय पात्र है जिसका कभी क्षय नहीं होता है बस रूप बदलता रहता है.
II अक्षय तृतीया हम सबको ऊर्जावान बनाये और
हम सब आतंरिक, मानसिक एवं शारीरिक रूप से ऊर्जावान रहें II





  
 
 

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