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मंगलवार, 23 अप्रैल 2019

श्री गणेश जी की सूंड


श्री गणेश जी के सूंड के दिशा का महत्व

दिवाली की पूजा के लिए श्री लक्ष्मी गणेश की कच्ची मिटटी की प्रतिमा घर लाने की पुरानी परंपरा चली आ रही है.पर जब भी मूर्ति लेने जाओ तो कहा जाता था गणेश जी की सूंड की दिशा बायीं ओर होनी चाहिये . अच्छे से देख कर लाना. बाज़ार में दूकानदार कहता है , अरे ! गणेश जी तो विघ्नहर्ता  ही रहेगें उनकी सूंड किसी भी दिशा में क्यों न हो. मूर्ति  घर लाने पर गणेश जी की सूंड की दिशा का बकायदा इंस्पेक्शन होता था.पौराणिक कथाओं में गणेश जी की सूंड की दिशा से सम्बंधित पुस्तकें निकाल कर देखा – पढ़ा जाता था . पूरी तरह तसल्ली के बाद ही घर में  पूजा के लिए मूर्ति रखी जाती थी. पर मंदिरों में या  गणेश  चतुर्थी  पर जब पंडालों के लिए  आती है तो गणेश जी के   सूंड की दिशा दाहिनी ओर होती है. 
पहले पहल ये बात समझ में नहीं आती थी. कुछ बड़े होने पर योग के सन्दर्भ में नाड़ी से परिचय हुआ—ईडा, पिंगला और सुषुम्ना जो हमारे मेरुदंड से जुड़े हैं. जहाँ ईडा ऋणात्मक उर्जा का संचार करती है वहीँ पिंगला से  धनात्मक उर्जा का संचार होता है. ईडा को चन्द्र नाड़ी भी कहा जाता है जिसकी प्रकृति शीतल व विश्रामदायक और चित्त को अंतर्मुखी करने वाली मानी जाती है.पिंगला को सूर्य नाड़ी कहा जाता है जो हमारे शारीर में श्रमशक्ति व जोश जगाती है और चेतना को बहिर्मुखी बनती है. पिंगला का उद्गम मूलाधार के दाहिने भाग से होता है जबकि ईडा का बाएं भाग से.
यदि वैज्ञानिक दृष्टि से समझा जाय तो गणेश जी के सूंड की दिशा को नाड़ी के उद्गम से जोड़ दें तो ये निष्कर्ष निकलता है की –गणेश जी की बायीं ओर मुडी सूंड वाली प्रतिमा  ईडा नाड़ी का प्रतिनिधित्व करती है , जो चन्द्रमा की  उर्जा  से सम्बंधित  है जबकि  दाहिनी ओर मुड़ी सूंड वाली प्रतिमा पिंगला नाड़ी का प्रतिनिधित्व करती है , जो की सूर्य उर्जा से सम्बंधित है. ईडा नाड़ी का प्रतिनिधित्व करने वाली प्रतिमा अधिक ठंडा ,पौष्टिक और आराम देने वाली शीतल उर्जा  प्रदान करती है जो घर की मंदिर में पूजा के लिए उत्कृष्ट होती है जब की पिंगला नाड़ी का प्रतिनिधित्व करने वाली प्रतिमा उग्र स्वभाव व अग्नि  सामान उर्जा प्रदान करती है जो मंदिरों में या पूजा पंडालों में स्थापित किया जाता है जो त्वरित परिणाम या सिद्धि दे सकतें हैं.
 यदि गणेश जी की सूंड सामने की ओर हो तो यह दर्शाता है की सुषुम्ना नाड़ी पूरी तरह से खुली हुई है. हवा में सीधा खड़ा सूंड  कुंडलिनी शक्ति का  सहस्त्रार (मुकुट चक्र) पर  स्थायी रूप से पहुँच जाना दर्शाता है.ऐसी प्रतिमा बहुत ही दुर्लभ होती है.
घर में  सुख शांति वाली शीतल उर्जा बनी रहे इसलिए गणेश जी की बायीं ओर मुडी सूंड वाली  ही रखने की मान्यता है और मंदिरों या  सिद्धिपीठों में गणेश जी की दायीं ओर मुडी सूंड वाली  की स्थापना की जाने की मान्यता है जो सूर्य उर्जा और सिद्धि प्रदान करती है .

II इति II


9 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी है ये। धन्यवाद🙏

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