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रविवार, 21 अप्रैल 2019

प्रथम पूज्य श्री गणेश जी


सर्वप्रथम गणेश का ही पूजन क्यों ?

ॐ श्री गणेशाय नमः
 हमारी  बहुत सारे रीति रिवाज़ व मान्यताएं मूल रूप से विलुप्त होती जा रहीं है . यदि कारण देखा जाये तो आज सभी लोग हर बात को वैज्ञानिक तर्क की कसौटी पर रख कर समझना चाहतें हैं. श्री गणेश प्रथम पूज्य देवता माने जाते हैं. बचपन में जब ऐसा क्यों पूछने पर जबाब मिलता था – “ऐसा ही माना जाता है” या पौराणिक कहानी सुना दी जाती थी. कुछ समय पहले बच्चों को एक पाठ “सुपर सेंसेस “ पढ़ाते समय मन में बचपन का सवाल याद आ गया. वही सवाल बच्चों से किया पर  जवाब वही पुराना मिला.तब लगा चलो इस सवाल का जवाब वैज्ञानिक तथ्यों के साथ जोड़ कर  बच्चों के सामने रखा जाये .
हम सभी श्री गणेश जी से सम्बंधित पौराणिक व अध्यात्मिक कथाएं तो जानते ही हैं.गणेश जी के साकार विग्रह में मनुष्य की धड़ पर हाथी का मुख संयुक्त किया गया है. अब गणेश जी का हाथी का विशाल मस्तक , लम्बी सूंड , एक दन्त ,बड़े कान के बारे में वैज्ञानिक तथ्यों पर ध्यान दें तो निःसंदेह गणेश जी गणाध्यक्ष व प्रथम पूज्य ही माने जायेंगे
विशाल मस्तक धैर्य एवं बुद्धि का परिचयक है.हाथी  की आखें लगभग 38 से.मी.(1.5 इंच ) व्यास की होती हैं जो सिर के किनारों पर स्थित होती हैं और इसलिए बेहतर परिधीय दृष्टि प्रदान करती हैं.सामान्य तौर पर बड़े सिर और चौर्ड़ें कान  कम आवृत्ति ध्वनियों को सुनने के लिए बेहतर रूप से अनुकूलित होता है क्योंकि बड़ी खोपड़ी में बनी कान की नहरें , व्यापक टायम्पेनिक झिल्ली और मध्य कान शामिल हैं. लम्बी सूंड में सूघने की गहरी शक्ति होती है जो 12 मील दूर जल स्त्रोतों का पता लगा सकती हैं. एक हाथी की सूंड की ताकत 250 किलोग्राम से अधिक वजन उठाने में सक्षम होती है . यह सबसे अधिक स्पर्श उपांगों में से एक है. इसका उपयोग देखभाल  करने में, स्ट्रोक, स्पर्श,दुलार, अन्वेषण या आश्वस्त करने के लिए किया जाता है.
भगवान् श्री गणेश का गजमुख  गाम्भीर्य ,बुद्धि और कौशल का प्रतीक है. गजमुख पर सुशोभित छोटी छोटी आखों  को छोटी वस्तुएं भी बहुत बड़ी दिखाई देतीं हैं.सूप सामान बड़े कान जहाँ शरीर का तापमान ठंडा रखने में सहायक होता है वहीँ धैर्य और गंभीरता से सुनने में भी सहायता करता है. लम्बी सूंड फूँक मार कर चलने में  व आश्वस्त करने में सहायता करता है.
  वक्रतुंड महाकाय कोटिसूर्य समप्रभ: I
निर्विध्न कुरु मे देव सर्वकार्येशु सर्वदा II
अर्थात विशाल आकार और टेढ़ी सूंड वाले करोड़ों सूर्यों के समान तेज वाले हे देव (गणेश जी ) ! मेरे समस्त कार्यों को सदा विघ्नराहित पूर्ण (संपन्न) करें I

II इति II


12 टिप्‍पणियां:

  1. Outstanding scientific explanation on super sense of LordGanesha , that's why Nasa is doing research on various rituals& beliefs.
    Hats off madam for such explanation

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  2. Gyan ka bhandar,
    Hai aap
    Yo hi aage badhati rahe
    Achcha lagta hai
    Aapse mulakaat ko
    Hum apne jeewan ki
    Ek badi uplabdhi mante hai

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  3. बहुत सुंदर ।अति महत्वपूर्ण एवं लाभदायक जानकारी । ऐसे ही प्रयासरत बने रहे और आगे चलकर इस ज्ञान प्रदान करने की कृपा करते रहे ।😍👌👌😍

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  4. Yes,true. Valuable information for new generation.

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